ॐ श्री चित्रगुप्त देवेश जय हो श्री चित्रगुप्त स्वामी.................सुखदाता तुम , दुखत्राता तुम , प्रभु अन्तरयामीब्रम्ह देव के मानस सुत तुम , काया से उभरे जग का लेखा जोखा रखते कलम दवात धरे समदर्शी निष्पक्छ विचारक शांत न्यायकारी विमल दृष्टि ,ग्यानी , गुन सागर जग के हितकारि ॐ श्री चित्रगुप्त देवेश जय हो श्री चित्रगुप्त स्वामी...............चिर अविनाशी , घट घट वासी जन जन के स्वामी हर मन की इच्छा के ग्याता , वरदाता नामी रखते प्रभु तुम छण छण हर जन जीवन का लेखा छुपी न तुमसे कभी किसी की ,गुप्त चित्त रेखा ॐ श्री चित्रगुप्त देवेश जय हो श्री चित्रगुप्त स्वामी...............वीतराग तुम तुम्हें परम प्रिय ,सत्य न्याय शिक्छा सदा शांति प्रिय सात्विक भक्तों की करते रक्छा भक्ति भाव से मिल हम करते पूजन आराधन करो देव स्वीकार , सफल हो तन मन धन साधनॐ श्री चित्रगुप्त देवेश जय हो श्री चित्रगुप्त स्वामी...............कृपा करो प्रभु हर कुल में नित सुख समृद्धि पले हो सदभाव हरेक के मन में , प्रेमल ज्योति जले दूर अँधेरा हो हर घर से , आश किरन छाये दुःखो से तपता जीवन पा आशीष मुस्काये ॐ श्री चित्रगुप्त देवेश जय हो श्री चित्रगुप्त स्वामी................
बुधवार, 17 अक्तूबर 2007
मंगलवार, 16 अक्तूबर 2007
राम जाने कि क्यों राम आते नहीं
हो रहा आचरण का निरंतर पतन ,
राम जाने कि क्यों राम आते नहींहै
सिसकती अयोध्या दुखी
देके उनको देके शरण क्यों बचाते नहीं ?
..................अनुगुंजन से
राम जाने कि क्यों राम आते नहींहै
सिसकती अयोध्या दुखी
देके उनको देके शरण क्यों बचाते नहीं ?
..................अनुगुंजन से
मेघदूतम् का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद
महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम् का श्लोकशः हिन्दी
द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
संस्कृत
सुखमुपगतं दुःखमेकान्ततोवानीचैर्गच्छिति उपरिचदशा चक्रमिक्रमेण
अनुवाद
किसको मिला सुख सदा या भला दुःखदिवस रात इनके चरण चूमते हैंसदा चक्र की परिधि की भाँति क्रमशःजगत में ये दोनों रहे घूमते हैं...................मेघदूतम् हिन्दी पद्यानुवाद से अंश
द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव
संस्कृत
सुखमुपगतं दुःखमेकान्ततोवानीचैर्गच्छिति उपरिचदशा चक्रमिक्रमेण
अनुवाद
किसको मिला सुख सदा या भला दुःखदिवस रात इनके चरण चूमते हैंसदा चक्र की परिधि की भाँति क्रमशःजगत में ये दोनों रहे घूमते हैं...................मेघदूतम् हिन्दी पद्यानुवाद से अंश
धर्म तो प्रेम का दूसरा नाम है
हंस वाहिनी वीण वादिनी शारदे
हम सबकी माँ भारत माता
सदस्यता लें
संदेश (Atom)