बुधवार, 17 अगस्त 2011

जिस रिश्ते की डोर भावना, उससे हजारे ,हमारे अन्ना

अन्ना

विवेक रंजन श्रीवास्तव
ओ बी ११ विद्युत मण्डल कालोनी रामपुर
जबलपुर

इस पीढ़ी के देश प्रेम के जज्बे का , नाम बने अन्ना
भारत की भावनाओ का , अभिमान बने अन्ना

बापू ने दुनियां को अहिंसा की , राह थी दिखाई ,उसी
सत्य और सत्याग्रह का ,सीधा सा पैगाम बने अन्ना

हमने ही चुना जिनको , वे ही नहीं सुनते जब ,तो
जन मन की भावनाओ का , संग्राम बने अन्ना

सत्तर की उमर में भी ,किसी नौजवां से कम नहीं
निस्वार्थ आंदोलन के लिये , तुम्हें प्रणाम है अन्ना

बहुत कर चुके वो , लोकतंत्र में , देश का दोहन
भ्रष्टतंत्र का शुद्धिकरण है जरूरी, अंजाम हैं अन्ना

घुप अंधेरी रात को , रोशन करने की ताकत है हममें
जनता शमां है, मशाल भी, और सुनहरी शाम हैं अन्ना

गांधी हमारे बापू ,चाचा हैं नेहरू , और टेरेसा बनी मदर