मंगलवार, 15 सितंबर 2009

मां ! क्षमा करो

मन मेरा मैला , फिर फिर हो जाता है
क्षमा शील हो तुम मां
मां ! क्षमा करो


मैं दुनियावी , फिर फिर अपराध किये जाता हूं
दया वान हो तुम मां
मां ! दया करो

व्रत, त्याग, तपस्या सधती न मुझे , फिर मंदिर आता हूं
बेटा तो तेरा ही हूं मां
मां कृपा करो



विवेक रंजन श्रीवास्तव विनम्र
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र. ४८२००८

मो. ००९४२५८०६२५२

देवी गीत

देवी गीत
प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध
ओ बी ११ , विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर ,जबलपुर म.प्र.



लगता अच्छा बहुत है यहां मां ! दूर दुनियां से मंदिर में आ के
करके दर्शन तुम्हारे , तुम्हें मां , अपने मन की व्यथा सब सुना के

शांति पाते हैं वे सब दुखी जन , जो भी आते शरण मां तुम्हारी
कही सुख शांति मिलती नही है, देख ली खूब दुनियां ये सारी
बेसहारों को और चाहिये क्या ? मां , तुम्हारी कृपा दृष्टि पा के


जहां तक यहां जाती निगाहें , दिखता रमणीक वातावरण है
बांटती मधुर आलोक सबको , कलश की ज्योति शुभ किरण है
सभी आनन्द भरपूर पाते , छबि तुम्हारी हृदय में बसा के


मन में श्रद्धा औ" आशा संजोये, जग से हारे या किस्मत के मारे
हाथ में लिये पूजा की थाली , आ के दरबार में मां तुम्हारे
तृप्ति पाते हैं जल धूप चंदन फूल फल दीप सब कुछ चढ़ा के

जगाते नये आभास पावन , पूजा व्रत सात्विकी भावनायें
मधुर विश्वास देती हैं मन को , समर्पण भाव की प्रार्थनायें
प्रेम पुलकित हो जाता हृदय है , माता अनुराग के गीत गा के

लगता अच्छा बहुत है यहां मां ! दूर दुनियां से मंदिर में आ के
करके दर्शन तुम्हारे , तुम्हें मां , अपने मन की व्यथा सब सुना के