शुक्रवार, 9 मई 2008

प्रार्थना

प्रार्थना
प्रो सी॑ बी श्रीवास्तव विदग्ध
C-6 , M.P.S.E.B. Colony Rampur ,
Jabalpur (M.P.) 482008
मोबा ०९४२५४८४४५२



हे दीनबन्धु दयालु प्रभु तुम विश्व के आधार हो
तुम बिन्दु में हो सिन्धु , अणु में अपरिमित विस्तार हो ।

तुम चेतना , आलोक , ऊर्जा , गति अलख पावन परम्
तम में फँसे , माया भ्रमित , अल्पज्ञ , सीमित नाथ हम ।
निर्बल , समय की धार में असहाय बहते जा रहे
तुम कर कृपा दे हाथ अपना नाथ हमें उबार लो ।।१।। हे दीन...

आनन्द , सत् चित् , शाँत , शुभ , सत्यं , शिवं , तुम सुन्दरम्
अपने बुने ही जाल में भूले , फँसे , उलझे हैं हम
सब चाहकर भी रात दिन भ़म से सुलझ पाते नही
इस आर्त मन की दुख भरी प्रभु प्रार्थना स्वीकार हो ।।२।। हे दीन...

मिलता नही सुख चैन मन को कहीं भी संसार में
तृष्णा का माया मृग लुभाता मन को हर व्यवहार में ।
नल से निकल जल सी बही सी जा रही है जिन्दगी
इसको सहेज , सँवारने को देव अपना प्यार दो।।३।। हे दीन...

हम शब्दों के बुनकर हैं

हम शब्दों के बुनकर हैं

विवेक रंजन श्रीवास्तव
सी॑ - 6 एम.पी.ई.बी.कालोनी
रामपुर, जबलपुर ४८२००८

मोबा. ०९४२५४८४४५२
ई मेल vivekranjan.vinamra@gmail.com

देवी हो तुम अक्षर की माँ ,
हम शब्दों के बुनकर हैं !
भाव प्रसून गूँथ भाषा में ,
गीत लाये हम चुनकर हैं !!

भाव भंगिमा और तालियाँ,
दर्शक कवि के दर्पण हैं !
सृजन सफल जब हों आल्हादित
श्रोता रचना सुनकर हैं !!

हम पहचाने नीर क्षीर को ,
सबको इतनी बुद्धि दो !
विनत कामना करते हैं माँ ,
भाव शब्द से गुरुतर हो !!

बहुत प्रगति कर डाली हमने
आजादी के बरसों में !
और बढ़े आबादी पर माँ ,
धरती भी तो बृहतर हो !!

हम सब सीधे सादे वोटर ,
वो आश्वासन के बाजीगर !
पायें सब के सब मंत्रीपद,
पर कोई तो "वर्कर" हो !!

राग द्वेष छल बढ़ता जाता
धर्म दिखावा बनता जाता !
रथ पर चढ़ जो घूम रहे हैं ,
कोई तो पैगम्बर हो !!

घर में घुस आतंकी बैठे ,
खुद घर वाले सहमे सहमे !
चुन चुन कर के उनको मारे
ऐसा कोई रहबर हो !!

शिलान्यास तो बहुत हो रहे
प्रस्तर पट सब पड़े अधूरे ,
आवंटन को दिशा मिले अब
काम कोई तो जमकर हो!!

कागज कलम और कविता से
मन वीणा स्पंदित कर के !
युग की दिशा बदलकर रख दे
कवि ऐसा जादूगर हो !!

अँत करो माँ अंधकार का
जन गण के मन में प्रकाश दो !
नव युग के इस नव विहान में
बच्चा बच्चा "दिनकर" हो !!


विवेक रंजन श्रीवास्तव