शनिवार, 30 जुलाई 2011

अस्पताल

अस्पताल

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र
जनसंपर्क अधिकारी एवं अति. अधीक्षण यंत्री ,ओ.बी. 11, एमपीईबी कालोनी
रामपुर, जबलपुर (मप्र) 482008
मो. 9425806252

जिदंगी कैद है यहां
वेंटीलेटर में।

आक्सीजन सिलेंडर
में भरी है सांसे।

उलटी लटकी है जिदंगी
सिलाइन, ग्लूकोज या खून की बोतलों में

रंग बिरंगे कैप्सूल के चिकने आवरण में
सिमटी हुई है दवा की सारी कडवाहट
जैसे स्वच्छ ओवर कोट में हो पैरा मेडिकल स्टाफ

शुगर कोटेड है टेबलेट्स
किसी सुंदर सी नर्स की मुस्कान की तरह
पर जिदंगी की जद्दोहद बहुत कडवी है

ए.सी. कमरो की दिवारों पर कांच
बडी मंहगी होती है मषीनों में शरीर के भीतर तक जांच

मांस के लोथडे में इंजेक्षन की चुभन
जाने कैसी तो होती है अस्पताल की गंध

धवल सफेद लिबासों में डाक्टर
कुछ बगुले, चंद हंस
गले मे झूलता स्टेथेस्कोप क्या सचमुच सुन पाता है
कितना किसका जिंदगी से नाता है।