रविवार, 11 नवंबर 2007

नीर नर्मदा का मधु हे

नीर नर्मदा का मधु है !
विवेक रंजन श्रीवास्तव
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नीर नर्मदा का मधु है !
साधू है हर पीने वाला !
आसक्त न हो भौतिकता का !
मैया तट पर रहने वाला !
मैया का गहना ये वन है !
वनवासी है जीवट वाला !
अपने में परिपूरित जीवन !
संतुष्ट सुखी और मतवाला !
आभूषण पाषाणों के माँ के!
कापू का कछार है फलवाला!
उन सबका जीवन धन्य हुआ!
जिनको गोदी माँ ने पाला !
डुबकी से इक संताप मुक्त हो !
पथिक क्लांत आने वाला !
कल कल बहता नीर निर्मला!
आतृप्त अँजुरी पीने वाला!
समरस सबको करती पोषित!
रेवा माँ ने सबको पाला!
मैया चरणों पर साथ झुकें !
राजा फकीर बालक बाला !
कण कण शंकर बन आप्लावित!
ऐसा मंदिर हैं माँ रेवा !
दर्शन भर से पायें सुदर्शन को !
अद्भुत अमृत जीवन रेखा !