अच्छा लगता है
विवेक रंजन श्रीवास्तव
कवि गोष्ठी से मंथन करते , घर लौटें तो अच्छा लगता है
शब्द तुम्हारे कुछ जो लेकर, घर लौटें तो अच्छा लगता है
शब्द तुम्हारे कुछ जो लेकर, घर लौटें तो अच्छा लगता है
कौन किसे कुछ देता यूँ ही, कौन किसे सुनता है आज
छंद सुनें और गाते गाते, घर लौटें तो अच्छा लगता है
छंद सुनें और गाते गाते, घर लौटें तो अच्छा लगता है
शुष्क समय में शून्य हृदय हैं , सब अपनी मस्ती में गुम हैं
रचनायें सुन भाव विभोरित , घर लौटें तो अच्छा लगता है
रचनायें सुन भाव विभोरित , घर लौटें तो अच्छा लगता है
मेरी पीड़ा तुम्हें पता क्या , तेरी पीड़ा पर चुप हम हैं
पर पीड़ा पर लिखो पढो जो ,और सुनो तो अच्छा लगता है
पर पीड़ा पर लिखो पढो जो ,और सुनो तो अच्छा लगता है
एक दूसरे की कविता पर, मुग्ध तालियां उन्हें मुबारक
गीत गजल सुन द्रवित हृदय जब रो देता तो अच्छा लगता है
गीत गजल सुन द्रवित हृदय जब रो देता तो अच्छा लगता है
कविताओं की विषय वस्तु तो , कवि को ही तय करनी है
शाश्वत भावों की अभिव्यक्ति सुनकर किंतु अच्छा लगता है
शाश्वत भावों की अभिव्यक्ति सुनकर किंतु अच्छा लगता है
रचना पढ़े बिना , समझे बिन , नाम देख दे रहे बधाई
आलोचक पाठक की पाती पढ़कर लेकिन अच्छा लगता है
आलोचक पाठक की पाती पढ़कर लेकिन अच्छा लगता है
कई डायरियां , ढेरों कागज, खूब रंगे हैं लिख लिखकर
पढ़ने मिलता छपा स्वयं का, अब जो तो अच्छा लगता है
पढ़ने मिलता छपा स्वयं का, अब जो तो अच्छा लगता है
बहुत पढ़ा और लिखा बहुत , कई जलसों में शिरकत की
घण्टो श्रोता बने , बैठ अब मंचो पर अच्छा लगता है
घण्टो श्रोता बने , बैठ अब मंचो पर अच्छा लगता है
बड़ा सरल है वोट न देना , और कोसना शासन को
लम्बी लाइन में लगकर पर , वोटिंग करना अच्छा लगता है
लम्बी लाइन में लगकर पर , वोटिंग करना अच्छा लगता है
जीते जब वह ही प्रत्याशी, जिसको हमने वोट किया
मन की चाहत पूरी हो ,सच तब ही तो अच्छा लगता है
मन की चाहत पूरी हो ,सच तब ही तो अच्छा लगता है
कितने ही परफ्यूम लगा लो विदेशी खुश्बू के
पहली बारिश पर मिट्टी की सोंधी खुश्बू से अच्छा लगता है
पहली बारिश पर मिट्टी की सोंधी खुश्बू से अच्छा लगता है
बंद द्वार की कुंडी खटका भीतर जाना किसको भाता है
बाट जोहती जब वो आँखें मिलती तब ही अच्छा लगता है
बाट जोहती जब वो आँखें मिलती तब ही अच्छा लगता है
बच्चों के सुख दुख के खातिर पल पल जीवन होम करें
बाप से बढ़कर निकलें बच्चें ,तो तय है कि अच्छा लगता है
बाप से बढ़कर निकलें बच्चें ,तो तय है कि अच्छा लगता है