शनिवार, 25 सितंबर 2010

हमारे मंदिर और मस्जिद को देने के लिये फूल , सुगंध और साया

रोपना है मीठी नीम अब हमें

कभी देखा है आपने किसी पेड़ को मरते हुये ?
देखा तो होगा शायद
पेड़ की हत्या , पेड़ कटते हुये


हमारी पीढ़ी ने देखा है एक
पुराने , कसैले हो चले
किंवाच और बबूल में तब्दील होते
कड़वे बहुत कड़वे नीम के ठूंठ को
ढ़हते हुये



हमारे मंदिर और मस्जिद
को देने के लिये
फूल , सुगंध और साया
रोपना है आज हमें
एक हरा पौधा
जो एक साथ ही हो
मीठी नीम , सुगंधित गुलाब और बरगद सा