मंगलवार, 26 अगस्त 2008
द्वार पर सत्कार का , इजहार रंगोली
रंगोली
विवेक रंजन श्रीवास्तव
सी ६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर म.प्र.
vivek1959@yahoo.co.in
द्वार पर सत्कार का , इजहार रंगोली
उत्सवी माहौल का , अभिसार रंगोली
खुशियाँ हुलास और , हाथो का हुनर हैं
मन का है प्रतिबिम्ब , श्रंगार रंगोली
धरती पे उतारी है , आसमान से रंगत
है आसुरी वृत्ति का , प्रतिकार रंगोली
लड़कियों ने घर की , हिल मिल है सजाई
रौनक है मुस्कान है , मंगल है रंगोली
पूजा परंपरा प्रार्थना , जयकार प्रभु की
शुभ लाभ की है कामना , त्यौहार रंगोली
संस्कृति का है दर्पण , सद्भाव की प्रतीक
कण कण उजास है , संस्कार रंगोली
बिन्दु बिन्दु मिल बने , रेखाओ से चित्र
पुष्पों से कभी रंगों से अभिव्यक्त रंगोली
विवेक रंजन श्रीवास्तव
चौखानों में अखबार के ,कल छपी ऐसी पहेली
पहेली
विवेक रंजन श्रीवास्तव
सी ६ , विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२
ई मेल vivek1959@yahoo.co.in
blog http://vivekkikavitaye.blogspot.com
पहले अण्डा हुआ या हुई मुर्गी है पहेली
उत्तर कुछ भी दो उत्तर खुद है एक पहेली
कई गुरुओ ने हैं ढ़ूँढ़े जिंदगी भर हल मगर
जिंदगी फिर भी है , अनसुलझी सी पहेली
शब्द फिर कम पड़ गये,स्मृति के भण्डार के
चौखानों में अखबार के ,कल छपी ऐसी पहेली
हर शख्स है देता जबाब अपने ही अंदाज में
हल कई जिसके सही हैं जिंदगी ऐसी पहेली
डोर है उलझी हुई , पतंग है परवान पर
ढ़ील देनी है जरूरी छोर माँजे का पहेली
मासूम हैं वो या कि है, ये उनकी अदा
मासूमियत उनकी बनी है कैसी पहेली
......................vivek ranjan shrivastava
सोमवार, 25 अगस्त 2008
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