रविवार, 19 अगस्त 2018

५ बाल गीत

1
योग
विवेक रंजन श्रीवास्तव

थोड़ा-थोड़ा
 योग करो
 सुबह सवेरे 
  रोज करो

 बिल्कुल सीधे
  खड़े रहो
  शव आसन में 
   पड़े रहो 

सांस भरो और 
उठो जरा
 छोड़ो सांसे 
  रुके रहो 

बैठ के आसन
 लेट के आसन
 खड़े-खड़े भी 
  होते आसन

   जैसा जैसा
   गुरु कहें
   वही करो और 
   स्वस्थ रहो ।

2
सफाई
 विवेक रंजन श्रीवास्तव 

रखना साफ-सफाई भाई 
रखना साफ-सफाई
 कभी ना फैलाना तुम कचरा रखना साफ-सफाई

 चाकलेट बिस्किट जो खाओ
रैपर कूड़ेदान में डालो 
फल खाओ तो गुठली छिलके कचरे के डिब्बे में फेंको

 कॉपी अपनी कभी न फाड़ो पुस्तक के पन्ने मत मोड़ो
चिन्धी बिलकुल न फैलाना
रखना साफ सफाई भाई
 रखना साफ सफाई


3
बिजली
विवेक रंजन श्रीवास्तव

 बड़ी कीमती
 होती बिजली
 बिन बिजली 
रहता अंधियार

 चले न पंखा 
और न गीजर
बिन बिजली
 बेकार है कूलर

 बिजली से ही 
चलता टी वी
बिन बिजली 
बेकार कंप्यूटर 

इसीलिए तो 
कहते हैं 
बिजली ना 
बेकार करेंगे 
कमरे से बाहर 
जाना हो
 तो सारे स्विच 
बंद करेंगे


4
 पानी 
विवेक रंजन श्रीवास्तव 

पानी प्यास बुझाता है 
पानी ही नहलाता है
 पानी से बनता है खाना
 पानी ही उपजाता दाना 

पानी मिलता नदियों से 
कुओ और तालाबों से 
नल में जो पानी है आता
 वह आता है बांधों से 

बादल बरसाते हैं पानी 
पानी है सबकी जिंदगानी
 बिन पानी के शुष्क धरा 
पानी ना हो व्यर्थ जरा


 अच्छा लगता है 
विवेक रंजन श्रीवास्तव 

शुद्ध हवा में
 सुबह सवेरे 
गहरी गहरी 
सांसे लेना अच्छा लगता है

 सोकर उठकर
 टूथ ब्रश करना 
और नहाना अच्छा लगता है 

धुली धुलाई 
यूनिफॉर्म में 
सही समय पर 
शाला आना अच्छा लगता है 

भूख लगे तो 
मां के हाथों का 
हर खाना अच्छा लगता है

 होमवर्क पूरा 
  जो हो तो
  लोरी और कहानी सुनकर 
तब सो जाना अच्छा लगता है

चूनर, हरी ओढ़ानी है!

चूनर, हरी ओढ़ानी है!

 विवेक रंजन श्रीवास्तव
 vivek1959@yahoo.co.in

रोप पोस कर पौधे, ढ़ेरो हरे भरे
वसुंधरा को चूनर, हरी ओढ़ानी है

हों संकल्प , हमारे फलीभूत
हम प्रयास तो करें, सफलता आनी है

जब खरीदा, इक सिलेंडर आक्सीजन
तब कहीं वृक्षों की कीमत हमने पहचानी है

जहाँ अंकुरण बीज का संभव है
ब्रम्हाण्ड में केवल, धरा यही वरदानी है

घाटियां गहराईयों की, ऊँचाईयां पाषाण की
वादियां सब होंगी हरी, ये हमने ठानी है

आसमां से ऊपर , नीले गगन से
दिख्खे हरा जो नक्शा, वो हिंदुस्तानी है

वृक्ष झीलें लगें, चूनर में टंके सलमा सितारे
कुदरत की मस्ती है,ये उसकी कारस्तानी है

इंद्र ले सतरंगा धनुष, अगली दफा जब आये तो
पाये पहाड़ो पर भी हरियाली, ये ही कहानी है

बांस के हरे वन , साल के घने जंगल
लगाये होंगे किसने, ये उसकी मनमानी है

हरितमा फूल फल लकड़ी और आक्सीजन
हुआ हिसाब तब समझ आया कि पौधा दानी है

वन हैं तो पशु हैं , पशु हैं तो है प्रकृति
काट रहे हैं जो जंगल ये उनकी नादानी है

अरसे से रहा है जंगल में जंगल के साथ
जंगल के मामले में आदिवासी ज्यादा ग्यानी है

पर्यावरण संतुलन, मतलब जलवायु का साथ
याद रखना , वृक्ष हैं पर्यावरण है तो पानी है

वृक्षारोपण सिर्फ फोटो और अखबारो की खबरें नहीं
सूखी जमीन पर हरी चादर सचमुच बिछानी है