रविवार, 19 दिसंबर 2010

फरमाईश पर कविता लिखने का प्रोग्राम जारी है इस बार......बिगबास

फरमाईश पर कविता लिखने का प्रोग्राम जारी है पिछली पोस्ट पर टिप्पणी में बिगबास की फरमाईश पर बिगबास पर यह रचना...




बिगबास

विवेक रंजन श्रीवास्तव

इस हमाम में सब नंगे हैं दिखलाता यह सच बिगबास
मन की परतो के भीतर की , तह दिखलाता है बिगबास

जनहित याचिकायें भी लग गईं टीआरपी पर बनी हई है
हर कोई जब करे बुराई , कौन देखता फिर बिगबास ?

स्वेता सीमा वीणा अस्मित, किस्मत सबकी लगी दांव पर
प्रश्न यही करते हैं खुद से ,कब तक किसका घर बिगबास

लिये करोड़ों तब आये हैं , करते हैं पर बस बकवास
सट्टा इस पर लगा हुआ है , जीतेगा अब कौन बिगबास

कुछ घर से बाहर हैं हो गये , कुछ कैमरे में कैद हो गये
चौथी बार रंग कलर्स पर , दिखा रहा सीरियल बिगबास