मंगलवार, 27 जनवरी 2009

हो सके तो लौटकर कहना कि फिर से लौट आना है !

माननीय पंकज अग्रवाल IAS , सी एम डी महोदय की बिदाई के अवसर पर शब्द सुमन

विवेक रंजन श्रीवास्तव
vivek1959@yahoo.co.in
09425484452

होते होते बन गये हिस्सा हमारा
और फिर कहने लगे कि लौट जाना है !
जब समझने लग गये थे हम इशारे
कर दिया यह क्यों इशारा लौट जाना है !!

लोग खुश थे छाते से छोटे आसमां में
संभव बनाया आसमाँ से लक्ष्य पाना
मुश्किलों का हल निकाला सौभाग्य था तेरा नेतृत्व पाना
हुई खता क्या कहने लगे जो लौट जाना है !

जा रहे हो जो यहां से जा न पाओगे
याद आओगे सदा हम भी याद आयेंगे
रोशनी घर की चमचमाती रोशनी हो तुम बस जगमगाओगे
हो सके तो लौटकर कहना कि फिर से लौट आना है !

शुभकामना है हमारी और औपचारिक यह बिदाई
हो सदा आनंदमय नव वर्ष का यह पथ तुम्हारा
भूल सारी भूल कर के आजन्म है नाता निभाना
हो सके तो लौटकर कहना कि फिर से लौट आना है !



विवेक रंजन श्रीवास्तव

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